Tuesday, March 12, 2019

बीती बुलंदियI


बीती बुलंदियों के ध्वज को बंदे,
यूँ कब तक तू लहराएगा ?
ए पीछे मुड़कए देखने वाले,
तू कभी आगे ना बढ़ पाएगा.

विश्वास रख खुद पे गर तू,
खुदी से भी लड़ जाएगा
शक नही इस बात में फिर,
कि खुद ब खुद,
खुदा भी तेरा साथ निभाएगा.

आँधियाँ बहुत आएँगी,
कश्ती तेरी डगमगाएँगी,
पर थाम अपने हॉंसले,
डरना ना तू बंदे मेरे.

बस ध्यान मंज़िल का रखे,
सब भूल तू बढ़ता रहे.
इक नया सवेरा आएगा,
तूफान भी थम सा जाएगा,

थमना ना तू बंदे मेरे,
करके बुलंद ये हॉंसले,
बढ़ता चले..
तू बढ़ता चले.

पीछे ना मुड़, ना याद कर,
वो बुलंदियाँ, वो बीते पल.

ये बात अगर तू जान पाएगा,
रोके ना रुके रुक पाएगा.
बस बढ़ता ही चला तू जाएगा.
बस बढ़ता ही चला तू जाएगा.

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